Friday, November 18, 2011

शनि से बचें! अब से ऐसे इशारे मिले तो ये दुर्घटनाएं हो सकती है आपके साथ



अब शनि देव 15 नवंबर से तुला राशि में आ गए हैं। इससे जिन राशि वालों को पैरों और सिर पर साढ़ेसाती है यानी वृश्चिक और कन्या राशि वालों को शनि के इशारे समझना चाहिए। साथ ही तुला राशि वालों को भी शनि के प्रभाव से गुजरना पड़ेगा। शनि देव जब असर डालते हैं तो आपको हर जगह परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती जब किसी को लगती है तो वो व्यक्ति बहुत परेशान होता है। अगर आपके कुछ काम रूके हुए है, बहुत दिनों से पूरे नहीं हो रहे हैं तो आपको समझना चाहिए कि शनि देव के असर से ये हो रहा हैं।



जानें और क्या-क्या होता है जब शनि के प्रभाव से



- अगर भूमि, वाहन या अन्य सम्पत्ति से संबंधित विवाद या परेशानियां आने लगती है तो समझ लेना चाहिए शनि आपको परेशान कर रहा है।



- कर्ज लेने की स्थिति भी तब ही बनती है जब साढ़ेसाती आपको परेशान करती है।



- अगर आपको कमर दर्द रहने लगा हो या कमर झुकने लगी हो तो समझ लें आप पर  साढ़ेसाती है।



- अगर आपके घर में कलेश हो रहो हो तो समझें आप पर शनि का असर हैं।



- दोस्तों और रिश्तेदारों से लड़ाई होना भी शनि के कारण होता है।



- जूते-चप्पल का बार-बार टूटना, गुम होना शनि के रूठने का संकेत है।



- आपका व्हीकल खराब रहने लगे तो समझना चाहिए शनि की साढ़ेसाती परेशान कर रही है।



- अगर बिजनेस में आपका पार्टनर धोखा दे तो समझें शनि के कारण ऐसा हो रहा है।



- शनि के कारण ही दिन-ब-दिन ऋण, लोन, उधार बढ़ता जाता है ।


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शनिवार और नवमी का योग..इस देवी मंत्र से दूर करें शनि बाधा



देवी उपासना में नवदुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि का स्वरूप विकराल होने पर भी मंगलकारी माना जाता है। देवी काल की नियंत्रक मानी जाती है। इसलिए काल की विषमताओं से पार पाने में देवी की उपासना प्रभावी मानी गई है। खासतौर पर ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव देवी उपासना से शांत हो जाते हैं।

इसी कड़ी में कालरात्रि की उपासना शनि ग्रह के दुष्प्रभावों से रक्षा करती है। माना जाता है कि शनि ग्रह के अशुभ योग या दशा जीवन में आर्थिक, शारीरिक व मानसिक पीड़ा देते हैं। जिनसे अनेक बाधाएं पैदा होती है।

शनि की ऐसी ही बाधाओं से बचाव के लिए देवी उपासना के आसान उपायो में कालरात्रि के स्वरूप का ध्यान करते हुए दुर्गासप्तशती के विशेष देवी मंत्र बोलना हितकारी माना गया है। जानते हैं यह विशेष देवी मंत्र -

- शाम के वक्त स्नान के बाद देवी की पंचोपचार पूजा गंध, अक्षत, लाल फूल व लाल फल का भोग अर्पित कर करें। धूप व दीप जलाकर लाल आसन पर बैठ नीचे लिखे देवी मंत्र या कालरात्रि के बीज मंत्र का स्मरण कम से कम 108 बार स्फटिक की माला से करें -

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरी

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।।

कालरात्रि बीजमंत्र - लीं    

- मंत्र जप व पूजा के बाद माता की आरती कर क्षमाप्रार्थना कर उसी आसन पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करें।


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