Friday, November 11, 2011

जानें, कैसे बिना पाठ-पूजा शनि को करें प्रसन्न?


शनि न्याय के देवता यानी दण्डाधिकारी माने जाते हैं। न्याय का नाता धर्म पालन से है। क्योंकि अच्छे-बुरे कर्म न्याय का आधार होते हैं। मान्यता है कि शनि भी जगत के प्राणियों पर पाप-पुण्य कर्मों के आधार पर ही कृपा भी करते हैं व दण्डित भी। शनि का यह न्याय शास्त्रों के मुताबिक शनि की ढैय्या, साढ़े साती या महादशा के दौरान सौभाग्य, सफलता या नाकामी और दरिद्रता के रूप में दिखाई देता है।

दरअसल, शनि भक्ति जीवन में अच्छे कार्यों व सोच को अपनाने का सबक ही देती है। सद्कर्म व अच्छे विचार ही धर्म पालन के लिए अहम है। इसलिए शास्त्रों में शनि की प्रसन्नता के लिए धार्मिक कर्मकांड के अलावा बोल, व्यवहार और कर्म से जुड़ी ऐसी बातें भी कारगर बताई गई है, जिनको शनिदेव की बिना पाठ-पूजा के व्यावहारिक जीवन में अपनाना भी आसान है। यहां तक कि नास्तिक यानी ईश्वर भक्ति से दूर रहने वाले इंसान पर भी इन बातों के कारण शनि कृपा कर सफल व सौभाग्यशाली बना देते हैं।

जानते हैं शनि कृपा के लिए दैनिक जीवन में धर्म पालन से जुड़ी ये खास बातें -

सेवा - मान्यता है कि शनिदेव जरावस्था या बुढ़ापें के स्वामी है। इसलिए हमेशा माता-पिता या बड़ों का सम्मान व सेवा करने वाले पर शनि की अपार कृपा होती है। इसके विपरीत वृद्ध माता-पिता या बुजूर्गों को दु:खी या उपेक्षित करने वाला शनि के कोप से बहुत पीड़ा पाता है।

परोपकार - परोपकार धर्म का अहम अंग है। दूसरों की पर दया खासतौर पर गरीब, कमजोर को अन्न, धन या वस्त्र दान या शारीरिक रोग व पीड़ा को दूर करने में सहायता शनि की अपार कृपा देने वाला होता है।

दान - शनि भक्ति में दान का महत्व बताया गया है। दान उदार बनाकर घमण्ड को भी दूर रखता है। इसलिए यथाशक्ति शनि से जुड़ी सामग्रियों या किसी भी रूप में दान धर्म का पालन करें। अहं व विकारों से मुक्त इंसान से शनि प्रसन्न होते हैं।

क्रोध का त्याग - शनि का स्वभाव क्रूर माना गया है। किंतु वह बुराईयों को दण्डित करने के लिए है। इसलिए शनि कृपा पाने व कोप से बचने के लिए क्रोध जैसे विकार से दूर रहना ही उचित माना गया है।

सहिष्णुता - शनि का स्वरूप विकराल है। वहीं शनि को कसैले या कड़वे पदार्थ जैसे सरसों का तेल आदि भी प्रिय माना गया है। किंतु इसके पीछे भी सूत्र यही है कि कटुता चाहे वह वचन या व्यवहार की हो, से दूर रहें व दूसरों के ऐसे ही बोल व बर्ताव को द्वेषता में न बदलें यानी सहनशील बनें।

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चाहें रिकार्डतोड़ सफलता..तो रविवार की सुबह बोलें यह सूर्य मंत्र


अक्सर हर इंसान जीवन में बेहतर पद, प्रतिष्ठा के साथ निरोगी, यशस्वी और वैभवशाली जीवन की कामना रखता है, लेकिन उसके मुकाबले इन लक्ष्यों को पाने के जज्बे, मेहनत या कोशिशों में कमियां इन इच्छाओं को पूरा करने में मुश्किलें पैदा करती है। इनमें ईश्वर या स्वयं के प्रति भरोसे की कमी भी एक है। जिसे दूर करने के लिए धार्मिक उपायों में सूर्य पूजा सबसे बेहतर मानी गई है। यह सफल जीवन की हर चाहत को जल्द पूरा करती है। 

शास्त्रों के मुताबिक रविवार के दिन सुबह जागकर स्नान के बाद किसी नवग्रह मंदिर में सूर्य का विशेष मंत्र से स्मरण हमेशा स्वस्थ, समृद्ध व प्रतिष्ठित जीवन जीने की कामना को सिद्ध करने वाला होता है। किंतु अगर आप रोग या किसी विवशता के कारण स्नान न भी कर पाएं तो जल से मुंह धोकर, कुल्ला करने के बाद मन ही मन पवित्र भाव से इस सूर्य का मंत्र का स्मरण भी रोग के साथ ही सारे कामों के विघ्र दूर करने वाला माना गया है।

जानते हैं ये विशेष सूर्य मंत्र व आसान पूजा विधि -

- रविवार को स्नान के बाद सूर्य प्रतिमा को लाल पूजा सामग्रियों जैसे लाल चंदन, गुड़हल का फूल, अक्षत चढ़ाएं। गुड़ या गुड़ से बनी किसी मिठाई का भोग लगाकर नीचे लिखें सूर्य मंत्र का स्मरण करें व आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें - 

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम् रूपं हि मण्डलमृचोथ तनुर्यजूंषि।

सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्म कमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।


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शनि से बचना है तो जानें आपकी राशि के लिए कौन सा है आसान उपाय


अगर आप शनि से बचना चाहते हैं तो 15 नवंबर से राशि के अनुसार शनि को खुश करने के लिए कुछ आसान उपाय जरूर करें। जानें आपकी राशि के लिए कौन सा उपाय बताया गया है।

    मेष- मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिर में दर्शन करने जाए और पूजा करें।

वृष- इस राशि के लोग शनिवार को किसी लंगड़े व्यक्ति को बैसाखी का दान दें।

मिथुन- इस राशि के लोग काले कपड़े में काले तिल रख कर दान दें ।

कर्क- कर्क राशि वाले लोग शनिवार की शाम को तिल और सरसों के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करें।

सिंह- इस राशि वालों पर से साढ़ेसाती उतर रही है। आपको हर मंगलवार हनुमान जी का दर्शन करना चाहिए और हनुमान जी के पैरों का सिंदूर सिर पर लगाना चाहिए।

कन्या- इस राशि वालों पर साढ़ेसाती का आखिरी चरण रहेगा। इस राशि के लोग काले तिल का तेल और सरसों का तेल दान करें।

तुला- आपकी राशि में शनि देव का प्रवेश होगा इसलिए इस राशि के लोग तिल मिलाकर शनि देव पर तेल चढ़ाएं।

वृश्चिक- इस राशि वालों पर शनि देव की साढ़ेसाती शुरू होने वाली है। इन लोगों को घोड़े की नाल से बना छल्ला पहनना चाहिए।

धनु- इस राशि वाले 11 कोयले और लोहे की किल काले कपड़े में लेकर अपने सिर से तीन बार घड़ी की दिशा में घुमाएं और बहते पानी में डाल दें।

मकर- इपकी राशि शनि देव की राशि है इसलिए आप कांसे के बर्तन में तेल भर कर उसमें अपनी छाया देखें और बर्तन सहीत दान कर दें।

कुंभ- कुंभ राशि काल पुरूष में के पैरों में होती है। इसलिए इस राशि के लोग चप्पल, जूते का दान दें।

मीन- मीन राशि के लोग काले उड़द, तिल और काला कपड़ा दान दें।

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12-11-11 : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

12 नवंबर 2011: शनिवार, सूर्य दक्षिणायन, अगहन मास, कृष्ण पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - द्वितीया

विशेष - अगहन मास

नक्षत्र - कृतिका सुबह 8.15 से रोहिणी

सूर्योदय - 05:55

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र वृषभ में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र वृश्चिक में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पूर्व दिशा, यदि आवश्यक हो तो तिल की दाल का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - उत्तर दिशा में चोरी गई समझें, कोशिशों के बाद मिलेगी।

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