Monday, November 7, 2011

8 नवंबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

8 नवंबर 2011: मंगलवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - त्रयोदशी

नक्षत्र - रेवती रात 1.48 से अश्विनी

सूर्योदय - 05:55

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र मेष में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र वृश्चिक में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - दक्षिण दिशा, यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पूर्व दिशा में चोरी गई समझें, जल्दी ही मिलेगी।

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शनि महासंयोग: कौन पहनें शनि रत्न और कौन पहनें घोड़े की नाल की अंगूठी





अब शनि देव बदलने वाले हैं। शनि को खुश करने के लिए और बुरे असर से बचने के लिए हर राशि के लोग अपनी कुंडली और साढ़ेसाती के अनुसार शनि रत्न और घोड़े की नाल की अंगुठी पहनें। जानें किस राशि के लोग पहनें रत्न और कौन पहनें घोड़े की नाल की अंगूठी

मेष- मेष राशि वालों के लिए शनि का रत्न लाभदायक हो सकता है। शनि का रत्न पहनने से लाभ बढ़ता है और नौकरी पेशा लोगों को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।

वृष- इस राशि के लोग शनि रत्न नीलम के साथ हीरा भी पहने तो इनको हर तरफ से सफलता मिलेगी। बिजनेस और नौकरी में लाभ चाहते हैं तो किसी विद्वान को अपनी कुंडली दिख कर नीलम पहन लें आपको लाभ होगा।

मिथुन- नीलम रत्न शनि की दशा में पहनने से मिथुन राशि वालों के धन और भाग्य में वृद्धि होगी। इस राशि वालों को पहनना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वालों को शनि का रत्न नही पहनना चाहिए इनके लिए शनि का रत्न अशुभ फल देने वाला रहेगा लेकिन ढैय्या के कारण इस राशि के लोग घोड़े की नाल की अंगुठी पहनें इस राशि वालें शनि से संबंधित दान दें।

सिंह- इस राशि का स्वामी सूर्य शनि का शत्रु ग्रह है और इस राशि वालों से साढ़ेसाती भी खत्म हो जाएगी। इसलिए सिंह राशि के जातक नीलम नही पहनें। इस राशि वालों को भी र्सिफ शनि के उपाय करना चाहिए।

कन्या- 15 नवंबर से इस राशि वालों पर शनि का अंतिम ढैय्या रहेगा जो कि लाभ देने वाला रहेगा। इस राशि के लोग घोड़े की नाल की अंगुठी पहनें। तुला- तुला राशि वालों के लिए शनि राजयोग कारक है। शनि का रत्न पहनने से तुला राशि वालों के पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इस राशि वालों पर साढ़ेसाती का दुसरा चरण शुरू होगा।

वृश्चिक- शनि का रत्न इस राशि वालों को साढ़ेसाती में बुरे असर से बचाएगा। ये रत्न भूमि, मकान, वाहन आदि से संबंधित लाभ जरूर देगा।

धनु- इस राशि के लोगों के लिए नीलम पहनना शुभ नही रहता है। इससे शत्रु बढ़ते हैं। मेहनत करने के बाद भी पूरे परिणाम नही मिलते। इस राशि वालों पर साढ़ेसाती भी नहीं है।

मकर- इस राशि का स्वामी शनि है इसलिए मकर राशि वालों के लिए नीलम रत्न धारण करना अत्यंत शुभ होगा। इससे इनके स्वास्थ्य, धन, आयु, विद्या में वृद्धि होगी।

कुंभ- शनि की राशि होने के कारण इस राशि के लोगों के लिए नीलम बहुत फायदेमंद रहेगा। इससे धन में वृद्धि होगी। खर्च कम होगा।

मीन- मीन राशि के लोगो को नीलम रत्न नहीं पहनना चाहिए लेकिन ढैय्या के चलते घोड़े की नाल की अंगूठी पहन लें।

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क्या क्या होता है जब किसी को लगती है साढ़ेसाती और शनि बदलते हैं अपनी राशि





शनि देव जब अपनी राशि बदलते हैं तो राशियों पर साढ़ेसाती बदल जाती है। राशि बदलकर शनि देव अपना असर तीन चरणों में दिखाते हैं। ये असर साढ़े सात सप्ताह से साढ़े सात साल तक होता है। 15 नवंबर से  कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वालों पर साढ़ेसाती रहेगी । कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों पर ढैय्या शुरू हो जाएगा है।

जिस राशि में शनि देव रहते हैं उससे अगली राशि को साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाता है। पहले चरण में यानि शुरूआत के ढाई साल में जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है और वह अपने उद्देश्य से भटक कर चंचल वृत्ति धारण कर लेता है, उसके अंदर स्थिरता का अभाव बना रहता है। परेशान होता रहता है। तनाव बना रहता है। छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आने लग जाता है।


शनि देव जिस राशि में रहते हैं उस राशि वालों को साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाता है। दूसरे चरण में मानसिक के साथ-साथ शारीरिक कष्ट भी उसको घेरने लगते हैं। हर वो काम जो सरलता से हो जाता है उसको करने के लिए भी मेहनत करना पड़ती है। उसकी सारी कोशिश असफल होने लगती है। किसी काम का परिणाम मेहनत के अनुसार नही मिलता।

जिस राशि में शनि होता है उससे पिछली राशि वालों को साढ़ेसाती का अखिरी चरण चल रहा होता है। दूसरे चरण के प्रभाव से ग्रस्त जातक, तीसरे चरण में अपने संतुलन को पूरी तरह रूप से खो चुका होता है और उसका गुस्सा बढ़ता जाता है। परिणाम स्वरूप हर काम का उल्टा ही परिणाम सामने आता है और उसके शत्रुओं की वृद्धि होती जाती है। जिन राशियों पर साढ़ेसाती तथा ढैया प्रभाव है, वे शनि के उपाय करें तो अशुभ फल से बचा जा सकता है।

साढ़ेसाती में ये उपाय करें-

1. प्रतिदिन लोबान युक्त बत्ती सरसों तेल के दीये में डालकर शाम को पीपल की जड़ में दीपक जलाएं।

2. कच्चे धागे को सात बार पीपल के पेड़ में लपेटें।

3. बन्दरों को गुड़ और चना, भैसों को उड़द के आटे की रोटी खिलाएं।

4. जटायुक्त कच्चे नारियल सिर के ऊपर से 11 बार उतार कर 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करें।

5. काला कपड़ा, कंबल और छाया पात्र दान करें।


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न घबराएं दुर्भाग्य से, करें यह टोटका


कभी-कभी न चाहते हुए भी जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। भाग्य साथ ही नहीं देता है, बल्कि दुर्भाग्य निरन्तर पीछा करता रहता है। दुर्भाग्य से बचने के लिए या दुर्भाग्य नाश के लिए यहां एक अनुभूत टोटका बता रहे हैं। इसका बिना शंका के मन से पूर्ण आस्था के साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य वृद्धि होती है।

टोटका

- एक रोटी लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार ऊसार लें। प्रत्येक बार वारते समय इस मन्त्र का उच्चारण भी करें-

 मंत्र- ऊँ दुभाग्यनाशिनी दुं दुर्गाय नम:।

- बाद में रोटी कुत्ते को खिला दें अथवा बहते पानी में बहा दें।

- यह अद्भुत प्रयोग है। इसके बाद आप देखेंगे कि किस्मत के दरवाजे आपके लिए खुल गए हैं। बिना शंका के इस प्रयोग को मन से करने से शीघ्र लाभ होता है।


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मंगली लोग पीपल में चढ़ाएंगे दूध-शकर तो होगा सब पॉजिटिव, क्योंकि...



एक कहावत बहुप्रचलित है शादी एक ऐसा लड्डू है जो खाता है पछताता है और जो नहीं खाता है वह भी पछताता है। अत: अधिकांश लोग इस लड्डू को खाकर ही पछताना पसंद करते हैं। वैसे तो काफी लोगों का विवाह सही समय पर बिना किसी परेशानी के हो जाता है लेकिन कुछ लोगों की शादी में कई समस्याएं भी आती हैं और देर भी होती है। इसके पीछे कई कारण मौजूद रहते हैं, इनमें से कुंडली में मंगल दोष भी एक कारण है।

ज्योतिष के अनुसार शादी में विलंब होने के वजह मंगल दोष भी हो सकता है। जो लोग मंगली होते हैं उनकी शादी या तो बहुत जल्दी हो जाती है या बहुत देर से होती है। जिन लोगों का विवाह मंगल दोष के कारण नहीं हो पा रहा हो उन्हें ज्योतिषीय उपचार करना चाहिए। मंगल दोष का प्रभाव कम करने के लिए एक उपाय बताया जाता है कि प्रति मंगलवार पीपल के पेड़ को दूध में शकर मिलाकर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से मंगल के दोष भी समाप्त होते हैं और जल्दी ही विवाह के योग भी बनते हैं।

मंगल को प्रसन्न करने के लिए मंगलदेव के निमित्त भात पूजन भी कराया जाना चाहिए। मंगल दोष दूर करने के लिए उज्जैन में मंगल देव के जन्म स्थान पर भात पूजन कराया जाता है। इस पूजा से सभी प्रकार के मंगल दोषों का निवारण हो जाता है और जीवन की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस साथ ही प्रति मंगलवार पीपल के पेड़ को शकर मिले हुए दूध से सिंचना चाहिए और पीपल की परिक्रमा करनी चाहिए।



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