Friday, August 19, 2011

...और तब लड़का हो या लड़की, नशा करने लगते हैं!



नशा एक ऐसी लत है जिससे व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा पर दाग तो लगता ही है, स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। वैसे तो नशे की लत कैसी पड़ती है इसकी कई वजह होती हैं। कई बार कुछ लोग दोस्त या आसपास के लोगों की देखादेखी नशा करना शुरू कर देते हैं और धीरे-धीरे वे इसके आदि हो जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली में कुछ ग्रह दोष होते हैं जिनके प्रभाव से वह नशीली चीजों का शिकार हो जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के ग्रह दोष बताए गए हैं जो व्यक्ति के जीवन के अलग-अलग हिस्सों पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष। पितृ दोष के कारण व्यक्ति को हमेशा ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कार्य के अनुसार उचित पैसा भी प्राप्त नहीं हो पाता। इसके साथ ही व्यक्ति नशे का शिकार भी हो सकता है।

पितृ दोष होने पर घर-परिवार में शांति नहीं मिल पाती और हमेशा ही मानसिक तनाव बना रहता है। इसी वजह से वे नशे की ओर बहुत जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्र निर्बल हो, अशुभ स्थिति में हो तो वे भी नशे की लत के शिकार हो सकते हैं।

इस प्रकार के बुरे प्रभावों से बचने के लिए पितृ दोष का उचित उपचार करना चाहिए। इसके साथ कुंडली में जो ग्रह निर्बल या अशुभ उसके निमित्त विशेष पूजन आदि करवाना चाहिए।




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शेयर बाजार या लॉटरी, हर बार किस्मत होती है इनके साथ..



गुरु और चंद्रमा मिलकर एक शुभ योग बनाते हैं। इस योग का नाम गजकेसरी योग है। यह योग जिस कुंडली में होता है उसके जीवन में पद प्रतिष्ठा और पैसों की कोई कमी नही होती। इसके कारण अचानक धन लाभ के योग बनते है।

- अगर कुंडली के दुसरे भाव में गुरु और चंद्रमा मीन राशि में होते हैं तो ऐसे व्यक्ति को अचानक शेयर या लॉटरी से धन लाभ मिलता है।

- अगर गुरु केन्द्र भाव यानी चौथे भाव में अपनी ही राशि धनु यानी 9 अंक के साथ होता है तो पंचमहापुरूष योग में से एक हंस योग बनाता है। ऐसे योग से जातक को अचानक पैसा मिलता है ।

- कुंडली के पांचवे भाव में स्थित गुरु और चंद्रमा लाभ भाव यानि ग्यारहवें भाव को देखते हैं और इसी स्थान से गुरु की पांचवी नजर किस्मत के घर पर भी पड़ती है। ऐसा योग जिसकी कुंडली में बनता है। उसकी किस्मत अचानक पलटती है और उसे शेयर बाजार या लॉटरी से धन मिलता है।

- गुरु अपनी ही राशि मीन में यानी 12 नंबर के साथ किस्मत के घर (नवें भाव) में हो तो इस घर में गुरु के होने से किस्मत साथ देेती है और शेयर या लॉटरी से धन लाभ होता है।

- कुंडली के लाभ भाव (ग्यारहवें घर) में चंद्रमा की राशि कर्क यानि 4 अंक के साथ गुरु और चंद्र  धन लाभ देने वाले माने जाते हैं।

- अगर सातवें भाव में स्थित राशि का स्वामी छठें, आठवें या बारहवें घर में हो तो जीवनसाथी सामान्य स्तर की नौकरी करने वाला होता है।

- अगर किसी कुंडली के सातवें घर में स्थित राशि का स्वामी पाप ग्रह होता है यानी सातवें घर में सिंह, कुंभ, मकर, मेष या वृश्चिक राशि हो और सूर्य, शनि या मंगल अपनी निच राशि में हो या शत्रु राशि में हो तो जीवनसाथी की कमाई ज्यादा  नही होती।

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