Saturday, May 7, 2011

गर्दन भी खोलती है व्यक्तित्व के गहरे राज...



शरीर का हर हिस्सा वास्तव में हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है। कोई लाख अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करे लेकिन शरीर की बनावट से उसके बारे में वो सब जाना जा सकता है जो हम जानना चाहते हैं।गर्दन शरीर का वह हिस्सा है जिस पर मनुष्य का सिर टिका होता है और मस्तिष्क से निकलकर सभी अंगों में पहुंचने वाली नसें और नाडिय़ां इसी से होकर गुजरती हैं। प्राय: निम्न प्रकार की गर्दन होती हैं-

सीधी गर्दन- सीधी गर्दन वाले जातक स्वाभिमानी, समय के पाबंद, वचनबद्ध एवं सिद्धांतप्रिय होते हैं।

लंबी गर्दन- अगर गर्दन सामान्य से अधिक बड़ी हो तो ऐसे जातक बातूनी, मंदबुद्धि, अस्थिर, निराश और चापलूस होता है। यह अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की आदत से लाचार भी होता है।

छोटी गर्दन- अगर गर्दन सामान्य आकार से छोटी होती है तो ऐसे जातक कम बोलने वाले, मेहनती, हितसाधक मगर धूर्त, कंजूस, अविश्वसनीय व घमण्डी होते हैं।

मोटी गर्दन- ऐसे जातक भ्रष्ट चरित्र, व्यसनी, शराबी, दु:स्साहसी, क्रोधी, अहंकारी, उन्मादी तथा अधिक आक्रामक होते हैं।

सूखी गर्दन- ऐसी गर्दन में मांस कम होता है तथा नसें स्पष्ट दिखाई देती हैं। ऐसे जातक सुस्त, कम महत्वाकांक्षी, सदैव रोगी रहने वाला, आलसी, क्रोधी, विवेकहीन और हर कार्य में असफल होते हैं।

ऊंट जैसी गर्दन- ऐसी गर्दन पतली व ऊंची होती है। ऐसे जातक आमतौर पर सहनशील, अदूरदर्शी व परिश्रमप्रिय होते हैं। कुछ लोग धूर्त भी होते हैं।

आदर्श गर्दन- ऐसी गर्दन पारदर्शी व सुराहीदार होती है, जो आमतौर पर महिलाओं में पाई जाती है। ऐसी गर्दन कलाप्रिय, कोमल, ऐश्वर्य और भोग की परिचायक होती है। ऐसे जातक सुख व वैभव का जीवन जीते हैं।


 Varinder Kumar
ASTROLOGER
Shop No 74 Ghumar Mandi
Ludhiana Punjab India
01614656864
09915081311
email: sun_astro37@yahoo.com

इस समय में नहीं करना चाहिए कोई भी शुभ काम क्योंकि...



ऐसा मानते हैं कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य सफल व शुभ होता है। लेकिन भारतीय ज्योतिष के अनुसार दिन में एक समय ऐसा भी आता है जब कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। वह समय होता है राहुकाल।



राहुकाल के बारे में ऐसा कहते हैं कि इस दौरान यदि कोई शुभ कार्य, लेन-देन, यात्रा या कोई नया काम शुरू किया जाए तो वह अशुभ फल देता है। यह बात पुरातन काल से ज्योतिषाचार्य हमें बता रहे हैं। लेकिन राहुकाल में ऐसा क्या होता है कि इसमें किए गए कार्य अशुभ या असफल होते हैं?



इसका पीछे का तर्क यह है कि ज्योतिष के अनुसार राहु को पाप ग्रह माना गया है। दिन में एक समय ऐसा आता है जब राहु का प्रभाव काफी बढ़ जाता है और उस दौरान यदि कोई भी शुभ कार्य किया जाए तो उस पर राहु का प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण या तो वह कार्य अशुभ हो जाता है या उसमें असफलता हाथ लगती है। यही समय राहुकाल कहलाता है।


कब-कब होता है राहुकाल?


प्रत्येक दिन एक निश्चित समय राहुकाल होता है। यह डेढ़ घंटे का होता है। वारों के हिसाब से इसका समय इस प्रकार है-


सोमवार       सुबह 7:&0 से 9:00


मंगलवार      दोपहर &:00 से 4:&0


बुधवार        दोपहर 12:00 से 1:&0


गुरुवार        दोपहर 1:&0 से &:00


शुक्रवार       सुबह 10:&0 से 12:00


शनिवार       सुबह 9:00 से 10:&0


रविवार        शाम 4:&0 से 6:00




Varinder Kumar
ASTROLOGER
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