Monday, October 31, 2011

मंगलवार-छठ पूजा के योग में इस हनुमान मंत्र से पाएं मनचाही कामयाबी



शास्त्रों के मुताबिक मंगलवार के दिन बल, बुद्धि और विद्या के अधिष्ठाता देव श्री हनुमान की भक्ति से सुख और सफलता की मनचाही सिद्धि पाने के लिए बहुत मंगलकारी है। इस बार मंगलवार (1 नवम्बर) के साथ ही सूर्य उपासना की शुभ घड़ी यानी छठ पूजा का योग भी बना है।

शास्त्रों में सूर्यदेव श्री हनुमान के गुरु बताए गए हैं। इस तरह मंगलवार-छठ पूजा का संयोग शक्ति उपासना द्वारा सफलता पाने की अचूक घड़ी है। क्योंकि सूर्य और हनुमान उपासना मानसिक, शारीरिक, अध्यात्मिक और प्राकृतिक शक्ति व ऊर्जा देने वाली मानी गई है।

यही कारण है कि छठ पूजा पर सूर्य उपासना की शुभ घड़ी में हनुमान गायत्री मंत्र का स्मरण सूर्य और हनुमान की कृपा द्वारा मन-मस्तिष्क को गतिवान और ऊर्जावान रखकर मनचाही सफलता व तरक्की देने वाला होगा।  जानते हैं यह हनुमान मंत्र और सरल पूजा विधि -

- इस दिन सुबह और शाम दोनों ही वक्त श्री हनुमान की पूजा सिंदूर,  चमेली का तेल,  चंदन, अक्षत, लाल वस्त्र या मौली, जनेऊ के साथ गुड़ की मिठाई का भोग अर्पित कर करें।

- लाल आसन पर बैठ श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें व नीचे लिखे हनुमान गायत्री मंत्र का स्मरण करें। रुद्राक्ष की माला के साथ 108 बार जप भी बहुत शुभ माना गया है। 

ऊँ अंजनीसुताय विद्महे,

वायुपुत्राय धीमहि,

तन्नो मारुती: प्रचोदयात्।।

- अंत में गुग्गल धूप, घी के दीप से श्री हनुमान की आरती कर सुख व सफलता की कामना के साथ प्रसाद ग्रहण करें।

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छठ पूजा की शाम बोलें यह संकटमोचक यमराज मंत्र



हिन्दू धर्म में जहां यमराज को मृत्य यानी काल का देवता माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यम का देवत्व रुप धर्मराज और पितृत्व रुप यमराज होता है। इसलिए कार्तिक माह में यम पूजा व दीपदान हर भय, चिंता, रोग कष्ट से मुक्त करने वाला माना गया है।

इसी माह की कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी सूर्य षष्ठी पर भी यमदेव का स्मरण संकटमोचक होता है। क्योंकि शास्त्रों में यमदेव सूर्य पूत्र बताए गए हैं। यम और सूर्य दोनों का संबंध काल से हैं। व्यावहारिक नजरिए से भी बुरे वक्त से बचने के लिए यम पूजा शुभ फल देती है।

खासतौर पर घर-परिवार, रिश्तों और जीवन को दीर्घ और संकटमुक्त रखने रखने के लिए इस दिन यम का विशेष मंत्र से स्मरण और दीप प्रज्जवलन का महत्व है। जानते हैं यमदेव की सरल पूजा विधि और विशेष मंत्र  -

यमदेव की सरल पूजा विधि -

- शाम को यम तर्पण या यम उपासना करें। यम तर्पण में नदी या तीर्थ में दक्षिण दिशा में मुंह कर हथेलियों में जल, तिल और कुश लेकर नम: यमाय या नम: धर्मराजाय बोलकर जल छोड़ें। इस दिन जनेऊधारी हो तो जनेऊ को माला की तरह पहने और काले, सफेद तिलों को उपयोग में लें।

- इसी तरह शाम को तिल के तेल से भरे 5 या 11 दीपक जलाकर उसकी गंध, अक्षत, पुष्प से पूजा करें और दक्षिण दिशा में मुंह करके यमदेवता का ध्यान कर मंदिर या तीर्थ में दीपदान करें। साथ ही नीचे लिखें यम गायत्री मंत्र का यथाशक्ति या कम से कम 108 बार स्मरण करें -

ऊँ सूर्यपुत्राय धीमहि

महाकालाय धीमहि

तन्नो यम: प्रचोदयात्।।

- यमदेवता की आरती कर काल, भय व रोग मुक्ति की कामना करें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।

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सफलता चाहिए तो अवश्य करें यह उपाय


जीवन में सफलता के क्या माएने होते हैं यह वही इंसान बता सकते है जिसने कभी सफलता या असफलता का स्वाद चखा हो। सफलता पाने की इच्छा तो हर कोई रखता है लेकिन यह सबके नसीब में नहीं होती। यदि आप किसी कार्य में सफल होने चाहते हैं तो उसके लिए नीचे लिखा उपाय करें-

उपाय

बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पश्चिम दिशा में मुख करके बैठ जाएं और सामने बाजोट(पटिए) पर लाल कपड़ा बिछकर उस पर गेहूं से स्वस्तिक बनाएं। इस स्वस्तिक पर एक थाली रखकर उस पर गं लिखें। अब इस गं अर्थात गणेशजी के बीज मंत्र की पूजा कर इसके ऊपर श्वेतार्क गणपति एवं एक लघु नारियल रख दें। लघु नारियल व श्वेतार्क गणपति स्थापित कर उसके आस-पास गोलाकार घेरे के समान 7 बिंदिया कुंकुम की लगाएं एवं नीचे लिखे मंत्र को जपते हुए उस पर एक-एक लक्ष्मी कारक कौड़ी रख दें।

मंत्र- ऊँ सर्व सिद्धि प्रदोयसि त्वं सिद्धि बुद्धिप्रदो भव: श्री

अब सभी कौडिय़ों पर कुंकुम व चंदन से तिलक करें, चावल चढ़ाएं, फूल चढ़ाएं। अगले दिन किसी कुंवारी कन्या को भोजन कराएं व दान-दक्षिणा देकर विदा करें। श्वेतार्क गणपति को पूजन स्थान पर स्थापित करें। कौडिय़ों एवं लघु नारियल को उसी वस्त्र में बांधकर जल में प्रवाहित कर दें।


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अब बदल गया किस्मत का सितारा: क्या है बुध का इशारा


किस्मत का तारा ब़ुध अब बदल गया है। पिछले 3 दिनों से बुध वृश्चिक राशि में चल रहा है और अब पूरे महीने इसी राशि में रहेगा। जानिए आपकी राशि के लिए क्या इशारा कर रहा है बुध और कैसा रहेगा ये महीना आपके लिए......



मेष- मेष राशि वालों के लिए बुध का राशि बदलना अशुभ फल देने वाला रहेगा। मेहनत का फल नहीं मिलने से सोच विचार प्रभावित होंगे। अचानक हानि होने के योग बनेंगे। शत्रु सामने आएंगे।

वृष- इस राशि वालों को बिजनेस में लाभ मिलेगा। जीवनसाथी के साथ समय गुजरेगा। साझेदारी से लाभ होने के योग बनेंगे। रोजमर्रा के कार्यों से आय में वृद्धि होगी।

मिथुन- शत्रुओं को परास्त करेंगे। यश,धन, प्रतिष्ठा बढ़ेगी। चिंताए और जिम्मेदारियां बढ़ेगी। स्वास्थ्य चिंताएं और प्रॉपर्टी संबंधित विवाद हो सकते हैं।

कर्क- विद्यार्थियों के लिए सफलता देने वाला समय रहेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। योजनाएं छुपाएं। काम बनेंगे।

सिंह- इस राशि वालों के लिए बुध का राशि बदलना अच्छा समय लेकर आया है। इस राशि वालों के भूमि, प्रॉपर्टी संबंधित महत्वपूर्ण कार्योंं की योजनाएं बनेंगी। मानसिक अस्थिरताएं दूर होंगी।

कन्या- इस राशि वालों का राशि स्वामी बुध है इसलिए इस राशि वालों की आंतरिक शक्ति बढ़ेगी। मेहनत पूरूषार्थ सफल होंगे। दुसरों के हित के बारें में सोचेंगे। वाणी पर संयम आवश्यक है।

तुला- इस राशि वालों के लिए बुध का राशि बदलना शुभ रहेगा। निवेश के योग बनेंगे। वाक चातुर्यता से मनचाहे काम पूरे होंगे। अधिकारियों से सहयोग मिलेगा।

वृश्चिक- इस राशि वालों के लिए बुध का राशि बदलना शारीरीक रूप से अशुभ फल देने वाला रहेगा। आर्थिक रूप से अच्छा फल देने वाला रहेगा। व्यापारियों के लिए शुभ रहेगा। धनागम और आर्थिक उन्नति के योग बनेंगे।

धनु- धनु राशि वालों के लिए वृश्चिक राशि का बुध पारिवारिक प्रतिकूलताएं देने वाला रहेगा। परिवार से असंतोष बना रहेगा। खर्च की स्थितियां बनेंगी। यात्राएं होंगी। कोई नई योजनाएं नहीं बनाएं समय निकल जाने दें। बाहरी स्थानों से शुभ परिणाम मिलेंगे।

मकर- बुध के बदलने से इस राशि वालों के लिए समय शुभ रहेगा। संबंधों का लाभ मिलेगा। कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। नए कार्य क्रियांवयन के लिए समय श्रेष्ठ रहेगा।

कुंभ- कार्यक्षेत्र में अनुकूलता रहेगी। यात्राओं से लाभ होगा। कार्यक्षेत्र में सफलता मिलेगी। सोचे हुए कार्यों में विलंब होगा लेकिन सफलता मिलेगी। पिता पक्ष से चिंताएं बढेंगी।

मीन- नए व्यापार बिजनेस की रूपरेखा बनेगी। नौकरी वालों के लिए भी समय अच्छा रहेगा। इस राशि के लोग कर्मठ विचारों से आगे बढ़ें। बाहरी स्थानों से लाभ और अचानक शुभ समाचार मिलेगा

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जब आपको रोड पर हाथी दिखे तो समझ लें इच्छाएं होंगी पूरी, क्योंकि...


कभी-कभी कहीं जाते समय हमें रास्ते में हाथी दिख जाता है। हाथी का दिखना शुभ संकेत माना जाता है। हिंदू धर्म में प्रचलित शकुन-अपशकुन में हाथी का दिखना शुभ शकुन बताया गया है।

प्राचीन काल से शास्त्रों के अनुसार बताए गए कई शकुन-अपशकुन की मान्यताएं प्रचलित हैं। ऐसी कई परंपराएं का चलन हैं जिन्हें आज भी काफी लोग मानते हैं। शकुन-अपशकुन को कुछ लोग अंधविश्वास भी मानते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार इनका काफी गहरा महत्व बताया गया है। जब भी हम किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए कहीं जा रहे होते हैं तो कभी-कभी कुछ छोटी-छोटी असामान्य या सामान्य घटनाएं दिखाई देती हैं। इन्हीं घटनाओं में सफलता और असफलता के इशारे छिपे होते हैं जिन्हें समझना होता है।

जब भी आप किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जा रहे हों और रास्ते में हाथी दिखाई दे तो समझ लें कि आपकी आज की सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाएंगी। जरूरी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और दिन अच्छा बितेगा। हाथी का दिखना शुभ माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक मान्यता है कि हाथी का सीधा संबंध प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश से है। गणपति का मुख हाथी के जैसा ही है, इसी वजह से गजराज को भी पूजनीय और पवित्र माना जाता है।


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Sunday, October 30, 2011

31 अक्टूबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

31 अक्टूबर 2011: सोमवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - पंचंमी

नक्षत्र - मूल शाम 4.20 से पूर्वाषाढ़

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र धनु में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र वृश्चिक में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पूर्व दिशा, यदि आवश्यक हो तो दूध का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पूर्व दिशा में चोरी गई समझें, जल्द ही मिलेगी।

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बदलेंगे सितारें: बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी में मिलेगा किस्मत का साथ


अगर आप अपना बैंक बैलेंस बढ़ाना चाहते हैं और प्रॉपर्टी के साथ मालामाल होना चाहते हैं तो ये जल्दी ही संभव हो सकता है। 
लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI  के अनुसार
कुछ आसान उपायों से अपने सितारें बदल लें इससे बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी में आपको किस्मत का साथ मिलने लगेगा



ये उपाय करें-

- भूरे कुत्ते को तेल की रोटी खिलाएं

- 10 वर्ष से छोटी कन्या को भोजन करवाएं और लाल वस्त्र दान दें।

- प्रॉपर्टी से संबंधित लेन देन के लिए मंगलवार का दिन चुनें।

- मंगलवार को लाल गाय को मसुर की दाल या गुड़ खिलाएं।

- लोन से संबंधित कागजों पर हनुमान जी के पैर का सिंदूर लगाएं।

- 7 मंगलवार तक कन्या भोजन कराएं और लाल वस्तु दान में दें।

- कोई भी सम्पत्ति का सौदा अपने नाम से न करें। पत्नी या बच्चों के नाम से करें।

- मंगल की पूजा करें।

- हर मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करें और हनुमान मन्दिर में तांबे के पात्र का दान दें।

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इसलिए विवाह से पहले कुंडली मिलान किया जाता है

हिंदू धर्म शास्त्रों में हमारे सोलह संस्कार बताए गए हैं। इन संस्कारों में काफी महत्वपूर्ण विवाह संस्कार। शादी को व्यक्ति को दूसरा जन्म भी माना जाता है क्योंकि इसके बाद वर-वधू सहित दोनों के परिवारों का जीवन पूरी तरह बदल जाता है। इसलिए विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण सावधानियां रखना जरूरी है। विवाह के बाद वर-वधू का जीवन सुखी और खुशियोंभरा हो यही कामना की जाती है।

वर-वधू का जीवन सुखी बना रहे इसके लिए विवाह पूर्व लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान कराया जाता है। किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी द्वारा भावी दंपत्ति की कुंडलियों से दोनों के गुण और दोष मिलाए जाते हैं। साथ ही दोनों की पत्रिका में ग्रहों की स्थिति को देखते हुए इनका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा? यह भी सटिक अंदाजा लगाया जाता है। यदि दोनों की कुंडलियां के आधार इनका जीवन सुखी प्रतीत होता है तभी ज्योतिषी विवाह करने की बात कहता है।

कुंडली मिलान से दोनों ही परिवार वर-वधू के बारे काफी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। यदि दोनों में से किसी की भी कुंडली में कोई दोष हो और इस वजह से इनका जीवन सुख-शांति वाला नहीं रहेगा, ऐसा प्रतीत होता है तो ऐसा विवाह नहीं कराया जाना चाहिए।

कुंडली के सही अध्ययन से किसी भी व्यक्ति के सभी गुण-दोष जाने जा सकते हैं। कुंडली में स्थित ग्रहों के आधार पर ही हमारा व्यवहार, आचार-विचार आदि निर्मित होते हैं। उनके भविष्य से जुड़ी बातों की जानकारी प्राप्त की जाती है। कुंडली से ही पता लगाया जाता है कि वर-वधू दोनों भविष्य में एक-दूसरे की सफलता के लिए सहयोगी सिद्ध या नहीं। वर-वधू की कुंडली मिलाने से दोनों के एक साथ भविष्य की संभावित जानकारी प्राप्त हो जाती है इसलिए विवाह से पहले कुंडली मिलान किया जाता है।


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बड़ी मुश्किल है तो शनिवार से हनुमानजी को चढ़ाएं 11 उड़द के दाने, क्योंकि...


प्राचीन काल से ही सभी को धन का मोह रहा है। इसके अभाव में सुखी और खुशहाल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज भी पैसा इंसान की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। जैसे-जैसे आधुनिक सुख-सुविधाओं में बढ़ोतरी हो रही है, इंसान इन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। इस तरह की विलासिता की सुविधाएं सभी को प्राप्त नहीं हो पाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन ज्योतिष के अनुसार यदि कोई अशुभ ग्रह योग हो तो पूरी मेहनत के बाद भी पर्याप्त धन प्राप्त नहीं होता है।

ज्योतिष शास्त्र में अशुभ ग्रहों के प्रभावों को दूर करने के लिए कई अचूक उपाय बताए गए हैं। धन संबंधी परेशानियों को खत्म करने के लिए निम्न उपाय अपनाएं-

हर मंगलवार और शनिवार को किसी भी हनुमान मंदिर में 11 काले उड़द के दाने, सिंदूर, चमेली का तेल, फूल, प्रसाद अर्पित करें। साथ ही सुंदरकांड का पाठ करें या समय अभाव हो तो हनुमान चालिसा का पाठ करें। मंगलवार-शनिवार को हनुमानजी का विधिवत पूजन करने से सभी प्रकार के कष्ट और क्लेश नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव भी दूर हो जाते हैं। इस उपाय को अपनाने से कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। ध्यान रखें पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। किसी भी प्रकार के अधार्मिक कर्मों से दूर रहें। किसी भी स्थिति में घर के बड़े-बुजूर्गों सहित अन्य वृद्धजनों का सम्मान करें, उनका दिल ना दुखाए।


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शुक्र ने छोड़ी खुद की राशि, अब क्या असर पड़ेगा आपकी किस्मत पर


ज्योतिष में शुक्र को पैसा,प्यार और भौतिक सुख सुविधाएं देने वाला ग्रह माना जाता है। दीपावली तक शुक्र खुद की राशि में रह कर लगभग सभी राशि वालों को शुभ फल देने वाला रहा है।

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सौम्य ग्रह माना गया है। सुख देना, शुक्र की प्रकृति मानी गयी है। समृद्धि और धन का कारक ग्रह भी शुक्र ही होता है साथ ही प्रेम संबंध और दाम्पत्य जीवन भी शुक्र से ही प्रभावित होते है।

दीपावली के  बाद नए साल में आज शुक्र अपनी स्वराशि तुला से वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है और वृश्चिक राशि में 21 नवंबर तक रहेगा।

शुक्र का यह राशि परिवर्तन और जब तक शुक्र वृश्चिक राशि में रहेगा तब तक का समय आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा जानिए...



मेष- दैनिक जीवन के कार्यों में बाधाएं आएगी लेकिन खर्चा बढ़ेगा और सभी कार्य पूरे होंगे। भोजन सामग्री, सुख सामग्री और भोग की अन्य वस्तुओं पर खर्चा होगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

वृष- शुक्र के राशि परिवर्तन से वृषभ राशि वालों के सोचे हुए सभी कार्य पूरे होंगे। वृषभ राशि के जातकों को अपने जीवनसाथी से सहयोग मिलता रहेगा। पार्टनरशीप करने वालों के कार्य बनेंगे।

मिथुन- शुक्र का राशि परिर्वतन करना मिथुन राशि वालों के लिए खर्चा बढ़ाएगा। शत्रूओं से निपटने के लिए खर्चा होगा और ज्यादातर खर्चा दिखावे पर होगा लेकिन मानसिक परेशानियों के बाद सफलता मिलेगी।

कर्क- शुक्र, कर्क राशि वालों के लिए विद्या और बुद्धि से संबंधित कार्यों में सफलता दिलाएगा। यह समय विद्यार्थियों के लिए अच्छा रहेगा। प्रतियोगी परिक्षाओं में सफलता मिलेगी।

सिंह- सिंह राशि वालों को वाहनों से सावधान रहना चाहिए। भूमि, मकान और स्थाई सम्पत्ती से संबंधित परेशानियां होगी और खर्चा भी बढ़ेगा।

कन्या- कन्या राशि वालों के लिए यह समय आर्थिक तंगी वाला रहेगा लेकिन इनको प्रेम प्रसंग में सफलता मिलेगी। जीवनसाथी से प्रेम बढ़ेगा। मांगलिक  कार्योँ पर खर्चा बढ़ेगा।

तुला- तुला राशिवालों का राशि स्वामी ही शुक्र है इसलिए इनके धन में वृद्धि होगी, अच्छे निवेश के योग बनेंगे। कष्ट में कमी आएगी और सुख में वृद्धि होगी।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि में ही शुक्र का प्रवेश होने से इस राशि वालों का झुकाव वृषभ राशि वालों की और बढ़ेगा। वृश्चिक और वृषभ राशि राशि के प्रेमियों के संबंध और अधिक मधुर बनेंगे।

धनु- शुक्र के वृश्चिक राशि में आ जाने से धनु राशि वालों के लिए खर्चा बढ़ेगा। स्थाई सम्पत्ती यानी भूमि एवं मकान पर खर्च होगा। यात्रा के योग बनेंगे और यात्राओं पर खर्च भी होगा।

मकर- मकर राशि वालों के लिए शुक्र का वृश्चिक राशि में प्रवेश करना बहुत अच्छा रहेगा। भाई बंधुओं से सहयोग मिलेगा। आर्थिक लाभ मिलेगा। बुद्धि और योजनाओं से  सुख और लाभ मिलेगा।

कुंभ- भूमि और स्थायी संपत्ती से लाभ मिलेगा। जब तक शुक्र वृश्चिक राशि में रहेगा तब तक आपके  सभी निर्णय सही होंगे। बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

मीन- मीन राशि वालों को सम्मान यश और प्रतिष्ठा मिलेगी। धार्मिक और मांगलिक कार्यों में खर्चा होगा। रोजगार के लिए बेरोजगारों का भी खर्च बढ़ेगा।
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घर का ये कोना रोज के झगड़ों और मुसीबतों से छुटकारा दिला देगा...


अगर आप रोज के झगड़े और मुसिबतों से परेशान है तो घर के एक कोने पर ध्यान दें। आपके घर का एक कोना भी आपको परेशानियों और मुसिबतों से छुटकारा दिला सकता है। बस अपने घर के पूजा स्थान पर ध्यान दें और हर परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं। जानिए पूजा का स्थान कैसा होना चाहिए....

वास्तु के अनुसार घर के पूजा स्थल या मंदिर में भगवान की मूर्तियां, तस्वीर या भगवान के अन्य प्रतीक रखे जाने चाहिए लेकिन साथ ही अन्य बातों का भी ध्यान रखें।



- पूजा स्थल की नियमित रूप से सफाई की जानी चाहिए। साथ ही प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन-अर्चना भी करना चाहिए। सुंगधित अगरबत्ती लगाने से घर का वातावरण भी पवित्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

- पूजा स्थान के आसपास आग से संबंधित वस्तुएं नहीं रखना चाहिए जैसे इन्वर्टर, विद्युत मोटर, पुराना सामान, टूटे-फूटे बर्तन आदि। मंदिर के आसपास पूरी तरह साफ-सफाई भी रखना चाहिए।

-  मंदिर के आसपास पूजन सामग्री, धार्मिक पुस्तकें, ऐसी वस्तुएं जिनसे वहां शुभ वातावरण निर्मित होता है, रखना चाहिए।

- पूजा करते समय हमारा मुंह पश्चिम दिशा की ओर हो तो यह बहुत शुभ माना जाता है। मंदिर का मुंख पूर्व की दिशा की ओर अच्छा माना जाता है।

- जहां हम पूजा करते हैं, भगवान का स्मरण करते हैं वह स्थान शांत और पवित्र होना चाहिए। पूजा स्थान के आसपास ऐसी कोई वस्तु नहीं होना चाहिए जिससे वहां का वातावरण अपवित्र हो।

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हर सुबह इस शिव मंत्र का ध्यान देता है भरपूर मानसिक शक्ति



सफलता के लिये मात्र सही वक्त, साधन या धन ही महत्वपूर्व नहीं होते, बल्कि इच्छाशक्ति और मनोबल का सकारात्मक होना भी निर्णायक होता है। यह तभी संभव है जब इंसान सच्चाई और निष्ठा के साथ अपने नियत लक्ष्य पाने को लेकर हर तरह से समर्पित रहे।

धार्मिक उपायों में भगवान शिव की भक्ति ऐसी ही प्रेरणा देकर न केवल मन को ऊर्जावान, मजबूत बनाने वाली, बल्कि संकल्प को पूरा करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने वाली भी मानी गई है। क्योंकि शिव चरित्र जीवन में छुपा वैभव के साथ वैराग्य, संहार के साथ कल्याण का भाव जीवन के यथार्थ से जोड़कर रखता है।

ऐसे ही कल्याणकारी देवता भगवान शिव की पूजा के लिए शास्त्रों में बताए एक विशेष मंत्र का स्मरण हर रोज सुबह खासतौर पर सोमवार या शिव तिथियों जैसे अष्टमी आदि पर किया जाए तो इसके प्रभाव से भरपूर मानसिक शक्ति मिलने के साथ जीवन तनाव, दबाव व परेशानियों मुक्त रहता है। जानते हैं यह विशेष शिव मंत्र -

प्रात: शिवलिंग या शिव की मूर्ति पर पवित्र जल स्नान कराकर चंदन, अक्षत व बिल्वपत्र अर्पित करें। धूप व दीप लगाकर नीचे लिखें शिव मंत्र का ध्यान करें -

शान्ताकारं शिखरशयनं नीलकण्ठं सुरेशं।

विश्वाधारं स्फटिकसदृशं शुभ्रवर्णं शुभाङ्गम्।।

गौरीकान्तं त्रितयनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।

वन्दे शम्भुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।।


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इस तरह मिटाए अपने हाथों की दुर्भाग्य वाली रेखाएं



हमारे हाथों में अच्छी और बुरी दोनों तरह की रेखाएं होती हैं। अक्सर लोग यह चाहते हैं कि उनके हाथ से दुर्भाग्य की रेखाएं किसी भी तरह से मिट जाएं। हाथों की लकीरों को मिटाया तो नहीं जा सकता लेकिन उनका दुष्प्रभाव जरूर कम किया जा सकता है।

हमारे धर्म ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्र ने ऐसे कई उपाय बताए हैं जिनसे हम अपने हाथों की दुर्भाग्य वाली रेखाओं का प्रभाव कम कर सकते हैं और अच्छी रेखाओं का प्रभाव बढ़ा सकते हैं।

शिव लिंग पर जल चढ़ाना और उसकी मालिश करना ऐसा ही एक उपाय है। यह बहुत ही सरल और सहज उपाय है जिसे बिना किसी रुकावट के आसानी से किया जा सकता है। अपने घर के आसपास बने शिव मंदिर में रोजाना जल चढ़ाएं और शिवलिंग की मालिश भी करें। इससे हमारे भाग्य की वृद्धि होती है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दाएं हाथ से जल चढांए एवं बाएं हाथ से शिवलिंग को अच्छे से मालिश करें। इससे हाथों में बनी दुर्भाग्य की रेखाएं समाप्त हो जाती हैं तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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हर चतुर्थी की सुबह बोलें यह गणेश मंत्र..बिन बाधा होंगे हर काम


बुरे विचार, बुरा स्वास्थ्य या बुरे कर्म जीवन में विघ्र और कलह का कारण बनते हैं। जिससे लक्ष्य और सफलता को पाना निश्चित रूप से कठिन हो सकता है। अच्छी सोच व अनुशासन का संकल्प ऐसे कलह से दूर कर मनचाही कामयाबी देने वाला होता है।

हिन्दू धर्म में श्री गणेश विनायक यानी विघ्रहर्ता देवता माने गए हैं। श्री गणेश की उपासना बुद्धि और समृद्धि देकर तन, मन व धन के क्लेशों का अंत कर देती है। श्री गणेश की उपासना के लिए हर माह की चतुर्थी तिथियां बहुत ही मंगलकारी मानी गई है।

शास्त्रों में इस शुभ तिथि पर सुबह विशेष गणेश मंत्र का स्मरण हर तरह की बाधा और विघ्न का नाश करने वाला माना गया है। जानते हैं यह मंत्र विशेष, जिसे हर चतुर्थी या प्रतिदिन भी स्नान के बाद कम से कम सुगंधित धूप बत्ती लगाकर बोलें व कार्य की शुरुआत करें -

प्रात: स्मरामि गणनाथमनाथबन्धु

सिन्दुरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम्।

उद्दण्डविघ्रपरिखण्डनचण्डदण्ड

माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम।।

सरल अर्थ है कि अनाथों के स्वामी या बन्धु, सिन्दूर से शोभित दो गालोंवाले, बड़े से बड़े विघ्रों का अंत करने में सबल और इन्द्र सहित अनेक देवताओं द्वारा पूजनीय भगवन श्री गणेश का मैं भी वन्दन व ध्यान करता हूं।

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किस्मत का दरवाजा खोलता है ये उपाय


हर इंसान की चाहत होती है कि उसे मान-सम्मान, यश, वैभव और धन-दौलत मिले। लेकिन सभी की यह इच्छा पूरी नहीं हो पाती। अगर आप चाहते हैं यह सब आपको मिले तो यह उपाय करें। इससे आपका सौभाग्य बढ़ेगा।

उपाय

श्रेष्ठ मुहूर्त देखकर उस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत्त हो लें। अब स्नान कर साफ वस्त्र पहन लें और उसके ऊपर पीला वस्त्र भी अवश्य पहनें। किसी शांत स्थान या घर के किसी शांत कमरे में उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ऊन के आसन पर चावल बिखेरें। इन चावलों पर मां सरस्वती, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का सम्मिलित चित्र स्थापित करें।

इसके बाद पंचामृत का तिलक करें और आरती उतारें। तीन हकीक और सात गोमती चक्र अर्पित करें। फूल चढ़ाएं और मावे का प्रसाद चढ़ाएं। धूप-दीप और अगरबत्ती दिखाएं। अब इस हकीक की माला से इस मंत्र का 1188 बार उच्चारण करें अर्थात 21 माला।

मंत्र-

ऊँ श्रीं कृं क्षौं सिद्धये ऊँ

मंत्र जपते समय बीच में किसी से कोई बात न करें। अब मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और गणपति देव का स्मरण करें और प्रार्थना करें कि आपका भविष्य उज्जवल हो, आपको सफलता मिले और सौभाग्य की प्राप्ति हो। साधना समाप्ति के बाद पूजन सामग्री किसी लक्ष्मी मंदिर में चढ़ा दें। चित्र पूजाघर में स्थापित कर प्रसाद बांट दें।
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30 अक्टूबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है? 
30 अक्टूबर 2011: रविवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - चतुर्थी

नक्षत्र - ज्येष्ठा शाम 5.07 से मूल

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र वृश्चिक में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र तुला में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पश्चिम दिशा, यदि आवश्यक हो तो घी का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पूर्व दिशा में चोरी गई समझें, जल्द ही मिलेगी।
 
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Friday, October 28, 2011

शनिवार को इन उपायों से मनाएं शनिदेव को


ज्योतिष शास्त्र के अतंर्गत शनि को क्रूर ग्रह माना गया है। लुधियाना के ज्योतिषाचार्य Varinder Kumar JI  के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ होता है उसे वह बहुत कष्ट पहुंचाता है। शनि की टेढ़ी चाल से हंसता-खेलता घर भी बर्बाद हो जाता है। यदि आप भी शनि ग्रह से प्रभावित हैं तो कुछ आसान टोटके करने से इसके अशुभ प्रभाव में कुछ कमी आ सकती है। टोटके इस प्रकार हैं-

1- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें।

2- शनिवार को सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं।

3- पीपल के वृक्ष पर सफेद ध्वजा (झंड़ा) फहराएं।

4- चांदी का चौकोर टुकड़ा हमेशा अपने पास रखें।

5- शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।

6- नारियल तथा साबूत बादाम नदी में बहाएं।

7- पुराने लोहे का छल्ला अथवा कड़ा बनवाकर धारण करें।

8- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं।

इन उपायों को करने से शनि की महादशा से आप बच सकते हैं।
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29 अक्टूबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है? 
29 अक्टूबर 2011: शुक्रवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - तृतीया

नक्षत्र - अनुराधा शाम 6.14 से ज्येष्ठा

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र वृश्चिक में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र तुला में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पूर्व दिशा, यदि आवश्यक हो तो तिल का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पूर्व दिशा में चोरी गई समझें, जल्द ही मिलेगी।

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Thursday, October 27, 2011

भाई-दूज: बहन के घर भोजन करने से बढ़ती है भाई की आयु


भाई-दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 28 अक्टूबर, शुक्रवार को है। इस दिन यमराज का पूजन किया जाता है। पूजन विधि इस प्रकार है-

पूजन विधि

इस दिन यमुना में स्नान करके यमुना तथा यमराज के पूजन का विशेष विधान है। इसके अलावा भाई-बहन के घर आकर उसके हाथ का बना भोजन करता है और बहन -भाई की पूजा करती है। विवाहिता बहनें अपने भाइयों को अपने घर ससुराल में आमंत्रित करती हैं, जबकि अविवाहिता बहनें अपने पिता के घर पर ही भाइयों को भोजन कराती हैं। जिनकी बहन नहीं होती, वे जिसे मुंहबोली बहन बनाते हैं, उसको इसी विधि से सत्कार करना चाहिए।

इसके पश्चात बहन-भाई दोनों मिलकर यम, चित्रगुप्त और यम के दूतों का पूजन करें तथा सबको अध्र्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन करें। प्रार्थना करें कि मार्कण्डेय, हनुमान, बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा द्रोणाचार्य इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी कर दें। इस दिन गोधन कूटने की भी प्रथा है। गोबर से बनी मनुष्याकृति बनाकर उसकी छाती पर ईंट रखी जाती है और उस पर स्त्रियां मूसल से प्रहार करती हुई उसे तोड़ती हैं, कथा सुनती हैं।

इसके पश्चात भाई को भोजन कराती हैं। मिष्ठान खाने के बाद भाई यथाशक्ति बहन को भेंट देता है। जिसमें स्वर्ग, आभूषण, वस्त्र आदि प्रमुखता से दिए जाते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास भी प्रचलित है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

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यमराज ने दिया था यमुना को वचन, इसलिए मनाते हैं भाई-दूज



दीपावली पर्व के पांचवे दिन यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस बार 28 अक्टूबर, शुक्रवार को भाई-दूज का पर्व है। इसकी कथा इस प्रकार है-

सूर्य की पत्नी संज्ञा की दो संतानें थीं। उनमें पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था। संज्ञा अपने पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को सहन नहीं कर सकने के कारण उत्तरी ध्रुव में छाया बनकर रहने लगी। इसी से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से सदा युवा रहने वाले अश्विनी कुमारों का भी जन्म हुआ है, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। उत्तरी ध्रुव में बसने के बाद संज्ञा (छाया) का यम तथा यमुना के साथ व्यवहार में अंतर आ गया। इससे व्यथित होकर यम ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई। यमुना अपने भाई यम को यमपुरी में पापियों को दंड देते देख दु:खी होती, इसलिए वह गोलोक चली गई।

समय व्यतीत होता रहा। तब काफी सालों के बाद अचानक एक दिन यम को अपनी बहन यमुना की याद आई। यम ने अपने दूतों को यमुना का पता लगाने के लिए भेजा, लेकिन वह कहीं नहीं मिली। फिर यम स्वयं गोलोक गए जहां यमुनाजी की उनसे भेंट हुई। इतने दिनों बाद यमुना अपने भाई से मिलकर बहुत प्रसन्न हुई। यमुना ने भाई का स्वागत किया और स्वादिष्ट भोजन करवाया। इससे भाई यम ने प्रसन्न होकर बहन से वरदान मांगने के लिए कहा। तब यमुना ने वर मांगा कि- 'हे भैया, मैं चाहती हूं कि जो भी मेरे जल में स्नान करे, वह यमपुरी नहीं जाए।'

यह सुनकर यम चिंतित हो उठे और मन-ही-मन विचार करने लगे कि ऐसे वरदान से तो यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। भाई को चिंतित देख, बहन बोली- भैया आप चिंता न करें, मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करें तथा मथुरा नगरी स्थित विश्रामघाट पर स्नान करें, वे यमपुरी नहीं जाएं। यमराज ने इसे स्वीकार कर वरदान दे दिया। बहन-भाई मिलन के इस पर्व को अब भाई-दूज के रूप में मनाया जाता है।

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28 अक्टूबर : आज का पंचांग, ग्रह स्थिति और यात्रा की शुभ दिशा


जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

28 अक्टूबर 2011: शुक्रवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, शुक्ल पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - द्वितीया

विशेष - भाई दूज, यम द्वितीया

नक्षत्र - विशाखा

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र तुला में दिन के 3.10 से वृश्चिक में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र तुला में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - पश्चिम दिशा, यदि आवश्यक हो तो उड़द की दाल का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पश्चिम दिशा में चोरी गई समझें, नहीं मिलेगी।

 
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जानिए, बिना धन के कैसे बनें धनवान...


धन हो तब मनुष्य धनवान कहलाता है, कुछ लोग दिवाली इसी विचार से मनाते हैं। यह संसार की साधारण परिभाषा है, लेकिन अध्यात्म बताता है बिना धन के धनवान कैसे बनें? दौलत को ही धन न समझा जाए। लक्ष्मी के अनेक स्वरूप हैं।

लोग लक्ष्मी के संदर्भ में केवल संपत्ति पर टिक गए। स्वस्थ शरीर, पवित्र मन, प्रेमपूर्ण परिवार, ईमानदार आचरण व योग्य संतानें हों तो आदमी बिना रुपयों के भी अधिक दौलतमंद होगा। ऋषि-मुनियों और संतों की परंपरा में अनेक नाम ऐसे हैं, जिनके सिर पर छत, तन पर सामान्य वस्त्र और निर्धन से भी बीता व्यावहारिक रहन-सहन था, लेकिन बड़े-बड़े राजा उनके चरणों में नतमस्तक थे।

सदाचारी के पास लक्ष्मी अलग रूप में आती है। लोगों ने लक्ष्मी को अपने जीवन में लाने और जाने के कई तरीके ईजाद किए। आज उनमें से एक पर विचार करें। वह तरीका है दान। इससे पुण्य अर्जन का काम किया गया।

दान लक्ष्मीजी को भी प्रिय है, लेकिन वे चाहती हैं, दया-भाव से दान मत करो, प्रेम-भाव से करो। जब तक कोई कमजोर न हो, दया शुरू कैसे होगी? दया करने के लिए सामने वाला दीन होना जरूरी है। धनवानों की एक रुचि यह भी रहती है कि लोग दीन बने रहें, वरना उनका दान कैसे चलेगा? यहीं से अमीरी-गरीबी की खाई गहरी बनाई जाती है।

सब बराबर हों और यदि ऐसा न भी हो तो कम-से-कम दान प्रेम की उपस्थिति से अहंकार व शोषण से मुक्त रहेगा। लक्ष्मी का आचरण यही है कि मुझ पर दबाव मत बनाना, वरना मैं कब, कैसे विपरीत परिणाम दूंगी, आदमी समझ ही नहीं पाएगा। इनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था। यह इस बात का प्रतीक है कि मुझे पुरुषार्थ से प्राप्त करो और परमार्थ में खर्च करो।

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Wednesday, October 26, 2011

लक्ष्मी होगी मेहरबान अगर इस दीपावली पर्स में रखें ये अनोखी चीजें



अगर आप चाहते हैं कि आप पर हमेशा लक्ष्मी मेहरबान रहे तो अपने पर्स में कुछ अनोखी चीजें रखें । इनको रखने से पूरे साल आप पर पैसों की बरसात होगी और कभी पैसों की तंगी नहीं झेलना पड़ेगी।

- इस दिवाली पर अपने पर्स में एक लाल रंग का लिफाफा रखें। इसमें आप अपनी कोई भी मनोकामना एक कागज में लिख कर रखें। इससे वह शीघ्र पूरी होगी।


- अगर पर्स में चांदी का सिक्का रख सके तो हमेशा रखा रहने दें।

- चावल को हल्दी लगाकर अपने पर्स में रखें।

- बैग में लाल रेशमी धागे से एक गांठ बांध कर रखें।

-बैग में शीशा और छोटा चाकु अवश्य रखें।

- पर्स में रुपये-पैसे जहां रखते हों वहां पर कौड़ी या गोमती चक्र रखें।

- चाबी को छल्ले में डाल कर रखें। यदि इस छल्ले में लाफिंग बुद्धा या अन्य कोई फेंगशुई का प्रतीक अच्छा रहता है।

- पर्स में किसी भी प्रकार का पिरामिड रखें। यह आपके लिए लाभदायक होगा।


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गौर से देखें दिवाली पूजा दीपक बताता है, पैसा आएगा या जाएगा



दीपावली के दिन अगर लक्ष्मी पूजा में दीपक को ध्यान से देखा जाए तो आपको कुछ ऐसे इशारे मिलते हैं जो ये बताते हैं कि पैसा आएगा या जाएगा ये इशारे लक्ष्मी जी की इच्छा बताते हैं। ये बताते हैं कि दीपावली पर आपको लक्ष्मी जी का कैसा आशीर्वाद मिलेगा।

दीपक के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार दीपक प्रज्वलित करते समय पूजा करना चाहिए। पूजा के समय अगर दीपक की लौ दाहिनी तरफ झुकती है तो शुभ फल देने वाला माना जाता है। दीपक की लौ का रंग अगर ज्यादा नीलापन लिए हो तो पूजा का शुभ फल कम हो जाता है।

पूजा में दीपक की लौ अस्थिर हो तो भी अच्छा नहीं माना जाता है। ये संकेत अनावश्यक खर्च होने का है। दीपक की बड़ी लौ का इशारा आपके हर काम पूरे होने की तरफ होता है। दीपक की लौ अगर स्थिर, बड़ी और एक समाना होती है तो समझना चाहिए आप पर बहुत जल्दी लक्ष्मी प्रसन्न होने वाली है।

अगर आरती करते समय दीपक का बुझ जाता है तो अपशकुन माना जाता है। इसी वजह से इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि पूजा आदि कर्म जब तक पूर्ण ना हो जाए दीपक जलता रहना चाहिए। यदि किसी भी कारण से दीपक बुझ जाता है तो ऐसा माना जाता है कि जिस मनोकामना के लिए पूजा की जा रही है उसमें अवश्य ही कोई बाधा उत्पन्न हो सकती है।



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Tuesday, October 25, 2011

26 अक्टूबर - आज का पंचांग, दीपावली लक्ष्मी पूजा करने का मुहूर्त, शुभ चौघडिय़ा



जानिए: आज का पंचांग, किस दिशा में यात्रा करें? चोरी गई वस्तु कहां मिलेगी? आज कौन सा ग्रह, किस राशि में है?

26 अक्टूबर 2011: बुधवार, सूर्य दक्षिणायन, कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, शोभन नाम संवत्सर, संवत् 2068, शरद ऋतु।

तिथि - अमावस्या

विशेष - दीपावली



शुभ चौघडिय़ा-

दोपहर 03:21 से 04:43 तक चंचल,

दोपहर 04:24 से 05:49 तक लाभ,

शाम 07:24 से 08:49 तक शुभ,

रात 08:49 से 10:32 तक अमृत



व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर पूजा का मुहूर्त - रात 05:49 से 08:57 तक (प्रदोष काल, स्थिर लग्र, शुभ और अमृत का चौघडिय़ा)



घर पर लक्ष्मी पूजा करने का मुहूर्त - शाम को 06:57 से रात 08:57 बजे तक (वृष लग्र )



वृष लग्र (शाम 06:57 से रात 08:57 बजे तक) - सामान्य, गृहस्थ, किसान, सेवाकर्मी, सोंदर्य प्रसाधन विक्रेता एवं निर्माता, वस्त्र व्यवसायी, अनाज व्यापारी, वायदा एवं शेयर बाजार वाले, व्यवसायी(दुकानदार, मार्केटिंग-फाइनेंस), होटल मालिक, अध्यापक, लेखक, एकाउंटेंट, चार्टर्ड एकाउंटेंट, बैंककर्मी, प्रशासनिक अधिकारी एवं नौकरी-पेशा लोग।



सिंह लग्र (रात 01:26 से 03:38 बजे तक) - जज, वकील एवं न्यायालय से संबंधित व्यक्ति, पुलिस विभाग, डॉक्टर, कैमिस्ट, वैद्य, दवा निर्माता,  इंजीनियर, पायलेट, सेना, उद्योगपति (कारखानेदार)ठेकेदार, हार्डवेयर व्यवसायी।

नक्षत्र - चित्रा

सूर्योदय - 05:50

सूर्यास्त - 07:10

अक्षांश - 23:11 उत्तर

देशांश - 75:43 पूर्व

ग्रह स्थिति - चंद्र कन्या में सुबह 11.30 से तुला में, सूर्य तुला में, मंगल कर्क में, बुध कन्या में, गुरू मेष में, शुक्र तुला में, शनि कन्या राशि में, राहु वृश्चिक में और केतु वृष राशि में स्थित है।

किस दिशा में यात्रा - उत्तर दिशा, यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन करके यात्रा करें।

किस दिशा में चोरी - पश्चिम दिशा में चोरी गई समझें, नहीं मिलेगी।


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स्थाई लक्ष्मी के लिए ये 10 चीजें जरूरी हैं, क्योंकि...



दीपावली-पूजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं एवं मांगलिक लक्ष्मी चिह्न सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, शांति और उल्लास लाने वाले माने जाते हैं इनमें प्रमुख इस प्रकार हैं-

वंदनवार-आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे दीपावली के दिन पूर्वीद्वार पर बांधा जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की वंदनवार पूरे 31 दिनों तक बंधी रखने से घर-परिवार में एकता व शांति बनी रहती हैं।

स्वास्तिक-लोक जीवन में प्रत्येक अनुष्ठान के पूर्व दीवार पर स्वास्तिक का चिह्न बनाया जाता है। उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम इन चारों दिशाओं को दर्शाती स्वास्तिक की चार भुजाएं, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रमों का प्रतीक मानी गई हैं। यह चिह्न केसर, हल्दी, या सिंदूर से बनाया जाता है।

कौड़ी-लक्ष्मी पूजन की सजी थाली में कौड़ी रखने की प्राचीन परंपरा है, क्योंकि यह धन और श्री का पर्याय है। कौड़ी को तिजौरी में रखने से लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

लच्छा-यह मांगलिक चिह्नï संगठन की शक्ति का प्रतीक है, जिसे पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है।

तिलक-पूजन के समय तिलक लगाया जाता है ताकि मस्तिष्क में बुद्धि, ज्ञान और शांति का प्रसार हो।

पान-चावल-ये भी दीप पर्व के शुभ-मांगलिक चिह्नï हैं। पान घर की शुद्धि करता है तथा चावल घर में कोई काला दाग नहीं लगने देता।

बताशे या गुड़-ये भी ज्योति पर्व के मांगलिक चिह्न हैं। लक्ष्मी-पूजन के बाद गुड़-बताशे का दान करने से धन में वृद्धि होती है।

ईख-लक्ष्मी के ऐरावत हाथी की प्रिय खाद्य-सामग्री ईख है। दीपावली के दिन पूजन में ईख शामिल करने से ऐरावत प्रसन्न रहते हैं और उनकी शक्ति व वाणी की मिठास घर में बनी रहती है।

ज्वार का पोखरा-दीपावली के दिन ज्वार का पोखरा घर में रखने से धन में वृद्धि होती है तथा वर्ष भर किसी भी तरह के अनाज की कमी नहीं आती। लक्ष्मी के पूजन के समय ज्वार के पोखरे की पूजा करने से घर में हीरे-मोती का आगमन होता है।

रंगोली- लक्ष्मी पूजन के स्थान तथा प्रवेश द्वार व आंगन में रंगों के संयोजन के द्वारा धार्मिक चिह्न कमल, स्वास्तिक कलश, फूलपत्ती आदि अंकित कर रंगोली बनाई जाती है। कहते हैं कि लक्ष्मीजी रंगोली की ओर जल्दी आकर्षित होती है।

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